डॉ. एस. उण्णिकृष्णन नायर,
विशिष्ट वैज्ञानिक ने 07 फरवरी, 2022 को वीएसएससी के निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने जनवरी 2019 में मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र, बेंगलुरु के पहले निदेशक के रूप में पदभार संभाला। उन्हें केरल विश्वविद्यालय से यांत्रिक इंजीनियरी में बी.टेक, आइआइएससी, बेंगलूरु से वांतरिक्ष इंजीनियरी में एमई और आइआइटी (एम), चेन्नै से यांत्रिक इंजीनियरी में पीएचडी प्राप्त हैं। उन्होंने वर्ष 1985 में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी), तिरुवनंतपुरम में अपना कैरियर शुरू किया। वीएसएससी में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने प्रमोचन यान यंत्रावली, ध्वानिक रक्षण प्रणाली और प्रदायभार आवरण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं।
वे अंतरिक्ष संवाहिका पुनःप्राप्ति प्रयोग (एसआरई) के अध्ययन दल के सदस्य-सचिव और मंदन एवं पुनःप्राप्ति प्रणालियों के लिए एसआरई के उप परियोजना निदेशक थे। वे एसआरई की पुनःप्राप्ति प्रणालियों के विकास से जुड़े थे और सागर से एसआरई संवाहिका की पुनःप्राप्ति में शामिल थे। मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के प्रारंभ से लेकर प्रौद्योगिकी विकास गतिविधियों के परियोजना निदेशक के रूप में वे जुड़े थे। वह केयर [कर्मीदल मॉड्यूल वायुमंडलीय पुनःप्रवेश प्रयोग] के प्रदायभार निदेशक थे, जहां 18 दिसंबर 2014 को एलवीएम3एक्स यान में कर्मीदल मॉड्यूल के प्रोटोटाइप को सफलतापूर्वक उड़ाया गया था। उन्होंने जनवरी 2017 तक मानव अंतरिक्ष उड़ान प्रौद्योगिकी विकास के साथ-साथ वीएसएससी की संरचना एन्टिटि के उप निदेशक के रूप में कार्य किया। उन्होंने कर्मीदल बचाव प्रणाली के प्रौद्योगिकी विकास के लिए टीम का नेतृत्व किया और 5 जुलाई 2018 को आयोजित मंच विफलन परीक्षण के अभियान निदेशक रहे। एचएसएफसी के गठन से पहले वे मानव अंतरिक्ष-उड़ान, वायु श्वसन नोदन और पुनरुपयोगी प्रमोचन यान विकास जैसी सभी उन्नत परियोजनाओं का नेतृत्व करने वाली उन्नत अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली के कार्यक्रम निदेशक के रूप में कार्यरत थे।
उन्हें एसआरई में अपने योगदानों के लिए इसरो टीम उत्कृष्टता पुरस्कार, वर्ष 2014 में केयर के लिए टीम लीडर के रूप में इसरो उत्कृष्टता पुरस्कार और समानव अंतरिक्ष अभियान के प्रौद्योगिकी विकास में अपने योगदानों के लिए वर्ष 2014 का इसरो व्यक्तिगत योग्यता पुरस्कार मिले हैं। वे कई पेशेवर निकायों के सदस्य हैं, यानी इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स का फेलो, एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया, सिस्टम्स सोसाइटी ऑफ इंडिया, अक्वास्टिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया, अस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया आदि का आजीवन सदस्य। इससे पहले, उन्होंने इंडियन नेशनल सोसाइटी फॉर एयरोस्पेस एंड रिलेटेड मैकेनिज्म (आइएनएसएआरएम), तिरुवनंतपुरम चैप्टर के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं/सम्मेलनों के लिए लिखे 12 सहित कई पेपर लिखे हैं। वे एक उत्साही प्रकृति प्रेमी हैं और उसके संरक्षण के लिए काम करते हैं। उन्होंने प्रमुख मलयालम पत्रिकाओं में कुछ लघु कथाएं भी प्रकाशित की हैं।